Manmohan Singh:पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार

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नई दिल्ली, 28 दिसंबर :
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज निगम बोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। देश ने एक ऐसे महान नेता को अलविदा कहा, जिसने अपनी सादगी, विद्वता और अद्वितीय नेतृत्व से भारतीय राजनीति में अमिट छाप छोड़ी।

बेटी ने दी मुखाग्नि, गुरबानी का पाठ

डॉ. मनमोहन सिंह को उनकी बड़ी बेटी उपिंदर सिंह ने मुखाग्नि दी। सिख धर्म के अनुसार, अंतिम संस्कार के दौरान गुरबानी का पाठ किया गया, जो शांति और श्रद्धा का वातावरण बना रहा। उनकी विदाई ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश को गमगीन कर दिया।

देश के शीर्ष नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

डॉ. सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के कई वरिष्ठ नेता निगम बोध घाट पहुंचे। वहां मौजूद हर व्यक्ति के चेहरे पर दुख और सम्मान साफ झलक रहा था।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इस भावुक क्षण में मौजूद थे। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

अंतरराष्ट्रीय सम्मान

डॉ. मनमोहन सिंह की महानता और उनके योगदान को न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया। भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और मॉरीशस के विदेश मंत्री धनंजय रामफुल ने भी अंतिम संस्कार में हिस्सा लेकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

अंतिम यात्रा: कांग्रेस मुख्यालय से निगम बोध घाट तक

डॉ. सिंह की अंतिम यात्रा कांग्रेस मुख्यालय से निगम बोध घाट तक निकाली गई। कांग्रेस मुख्यालय में उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता ने उनके अंतिम दर्शन किए। हर आंख नम थी और हर चेहरा शोक में डूबा हुआ।

उनके निधन की खबर से देश स्तब्ध

डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी मृत्यु की खबर से पूरा देश स्तब्ध रह गया। देश ने एक ऐसे नेता को खो दिया, जिसने न केवल राजनीति में बल्कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में भी भारत को नई दिशा दी।

उनकी विरासत और योगदान

डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया। 1991 में उदारीकरण के दौरान उनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा। वह सादगी और विद्वता के प्रतीक थे, जिन्होंने बिना किसी आडंबर के अपने कार्यों से देश का भविष्य संवारा।

एक युग का अंत

डॉ. मनमोहन सिंह की विदाई केवल उनके परिवार या कांग्रेस पार्टी के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उनकी सादगी और उनकी दूरदर्शिता को भारत हमेशा याद करेगा। उनके निधन ने भारतीय राजनीति में एक युग का अंत कर दिया है।

आज देश ने सिर्फ एक नेता को नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, एक अर्थशास्त्री और एक महान इंसान को खो दिया। उनकी कमी को पूरा करना मुश्किल है। डॉ. सिंह हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

शांति और सम्मान के साथ डॉ. मनमोहन सिंह को अलविदा कहते हुए, पूरा देश उनके प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करता है। उनकी आत्मा को शांति मिले।

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