उप-कुलपति प्रो. करमजीत सिंह ने पंजाबी साहित्य के संरक्षण पर दिया जोर | Nanak Singh Memorial Lecture
अमृतसर :- तीसरा नानक सिंह मेमोरियल लेक्चर आज गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के सीनेट हॉल में आयोजित किया गया, जिसमें पंजाबी साहित्य के महान उपन्यासकार सरदार नानक सिंह की अमर विरासत पर प्रकाश डाला गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर विश्वविद्यालय के अनेक गणमान्य व्यक्ति, साहित्य प्रेमी और शोधार्थी उपस्थित रहे।
साहित्यिक धरोहर को संजोने का आह्वान | Nanak Singh Memorial Lecture
उप-कुलपति प्रो. करमजीत सिंह ने अपने उद्घाटन संबोधन में न केवल उपन्यासकार सरदार नानक सिंह बल्कि अन्य महान पंजाबी लेखकों की साहित्यिक धरोहर को संजोने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “जिस प्रकार भाई गुरदास लाइब्रेरी में नानक सिंह सेंटर स्थापित किया गया है, वैसे ही अन्य महान लेखकों के परिवारों को भी आगे आना चाहिए।” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी इस तरह की साहित्यिक पहलों का पूरा समर्थन करेगी।
रिसर्च छात्रा को मिली आर्थिक सहायता | Nanak Singh Memorial Lecture
इस अवसर पर प्रो. करमजीत सिंह ने घोषणा की कि फाउंडेशन द्वारा रिसर्च छात्रा कुलविंदर कौर को 25,000 रुपये की मेरिट-आधारित वित्तीय सहायता दी जाएगी। उन्होंने इस पहल को शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जिससे युवा शोधकर्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
नानक सिंह का अद्वितीय योगदान | Nanak Singh Memorial Lecture
नानक सिंह के चार दशक लंबे साहित्यिक सफर को याद करते हुए प्रो. सिंह ने कहा, “पंजाबी उपन्यास नानक सिंह के नाम का पर्याय है।” उन्होंने नानक सिंह के उपन्यासों ‘मातृई मां’, ‘प्यार दी दुनिया’, ‘गरीब दी दुनिया’ और ‘टूटी वीणा’ का जिक्र किया, जिनमें विभाजन के दर्द और पंजाबी संस्कृति की खोई हुई महिमा को खूबसूरती से उकेरा गया है। प्रो. सिंह ने यह भी कहा कि नानक सिंह के उपन्यासों में मानवीय संवेदनाएं, सामाजिक न्याय और सामूहिक एकता के संदेश समाहित हैं।
अनुवाद की आवश्यकता पर जोर | Nanak Singh Memorial Lecture
स्कूल ऑफ पंजाबी स्टडीज के प्रमुख डॉ. मंजींदर सिंह ने महान लेखकों के कार्यों को विभिन्न भाषाओं में अनुवादित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे पंजाबी साहित्य का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार होगा और नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का अवसर मिलेगा।
पंजाब की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा | Nanak Singh Memorial Lecture
भारतीय राजदूत स. नवदीप सिंह सूरी ने कहा कि नानक सिंह पंजाब की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं और भाई गुरदास लाइब्रेरी में स्थापित नानक सिंह सेंटर उनकी साहित्यिक विरासत के संरक्षण और प्रचार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनकी संस्था पंजाबी साहित्य को आधुनिक तकनीकी माध्यमों के जरिए व्यापक स्तर पर पहुंचाने के लिए काम कर रही है।
व्यक्तित्व और सादगी के किस्से | Nanak Singh Memorial Lecture
नानक सिंह के पुत्र स. कंवलजीत सिंह सूरी ने अपने पिता के सरलता, दयालुता और संगीत के प्रति गहरे प्रेम से जुड़ी व्यक्तिगत यादें साझा कीं। उन्होंने कहा कि उनके पिता ने जीवन के हर पहलू में ईमानदारी और मानवीयता को सर्वोपरि रखा। यह विरासत आज भी समाज को प्रेरित करती है।
आधुनिक पंजाबी साहित्य के जनक | Nanak Singh Memorial Lecture
पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. जगबीर सिंह ने ‘आधुनिक पंजाबी साहित्य के जनक: नानक सिंह‘ विषय पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने कहा कि नानक सिंह ने पारंपरिक मूल्यों और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाते हुए अपनी रचनाओं में सांप्रदायिक तनावों का मार्मिक प्रतिरोध प्रस्तुत किया। उन्होंने खासतौर पर ‘पवित्र पापी’ उपन्यास का जिक्र किया, जिसमें मध्यमवर्गीय परिवार के द्वंद्व को बड़ी संजीदगी से उकेरा गया है।
जीवन के द्वंद्व और मानवता का संदेश | Nanak Singh Memorial Lecture
कोऑर्डिनेटर डॉ. हरिंदर कौर सोहल ने नानक सिंह के दर्शन को रेखांकित किया, जिसमें जीवन को मानवता के देवदूत और दानवों के बीच एक शाश्वत संघर्ष के रूप में देखा गया है। उन्होंने कहा कि नानक सिंह का लेखन हमें यह सिखाता है कि कैसे कठिनाइयों के बीच भी मानवीय मूल्यों को बनाए रखा जा सकता है।
पंजाबी संस्कृति की अनमोल विरासत को जीवंत रखने का संकल्प | Nanak Singh Memorial Lecture
समारोह का समापन पंजाबी संस्कृति की इस अनमोल विरासत को जीवंत रखने और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने के सामूहिक संकल्प के साथ हुआ। उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने मिलकर पंजाबी साहित्य के संरक्षण के लिए मिल-जुलकर काम करने का वादा किया। इस मौके पर कई पुस्तकों का विमोचन भी किया गया, जिससे नानक सिंह की साहित्यिक यात्रा को और अधिक रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया।

